महाराज जी कहते है कि गौकथा का शुभारम्भ भी हमारे उत्तराखंड से हुआ और उद्धव जी द्वारा भी भगवान कृष्णकी चरणपादुका भी बद्रीकाश्रम उत्तराखंड में रखी गई है

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