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32 महीने बाद आए फैसले ने जहां अंकिता के परिजन की इंसाफ की आस पूरी हुई है,वहीं पहाड़ की बेटी को इंसाफ मिलने की बात हर किसी की जुबा पर है। ये सब यू ही संभव नहीं हुआ है,इसके पीछे धामी की संवेदनशीलता ही थी    

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